कल रात किसी के साथ होने की भनक पाई
पीछे मुड़ के देखा तो थी अपनी परछाई
एकांकी में कोई तो है जो साथ चलता है
हारे थके कदम की वेदना समझता है
मन को भी दिलासा दिलाता है
चला चल आगे कोई साथ आता है
पूर्णिमा की रात चाँद पुरे शबाब पे होता है
जैसे शादी की रात को दुल्हन
उकेरता है परछाई बिना सीयाही के कलम
सुना है कभी चाँद हर रोज़ पुर्णिम हुआ करता था
अपनी चांदनी पे बहुत अकड़ता था
इक रोज़ उसे श्री गणेश पे हँसी आई
श्री गणेश ने छीन ली सारी रोशनाई
चाँद ने फिर गुहार लगायी
मिली चांदनी पर साथ में अमावस भी आई
कहते है जीवन साथी भी परछाई सा होता है
दुःख सुख खुशी गम हर वक़्त सम
साथ चलने की कसमे खाता है
परछाई की दुहाई गाता है
पर अमावस की रात किसी ने परछाई को देखा है
वो तो रोशिनी का प्रतिबिम्ब है जो
चमकते सूरज और पूर्णिमा में दीखता है
अमावस बड़ी स्याह होती है मेरे भाई
जीवन साथी तो सजीव है
साथ छोड़ जाती है परछाई
पीछे मुड़ के देखा तो थी अपनी परछाई
एकांकी में कोई तो है जो साथ चलता है
हारे थके कदम की वेदना समझता है
मन को भी दिलासा दिलाता है
चला चल आगे कोई साथ आता है
पूर्णिमा की रात चाँद पुरे शबाब पे होता है
जैसे शादी की रात को दुल्हन
उकेरता है परछाई बिना सीयाही के कलम
सुना है कभी चाँद हर रोज़ पुर्णिम हुआ करता था
अपनी चांदनी पे बहुत अकड़ता था
इक रोज़ उसे श्री गणेश पे हँसी आई
श्री गणेश ने छीन ली सारी रोशनाई
चाँद ने फिर गुहार लगायी
मिली चांदनी पर साथ में अमावस भी आई
कहते है जीवन साथी भी परछाई सा होता है
दुःख सुख खुशी गम हर वक़्त सम
साथ चलने की कसमे खाता है
परछाई की दुहाई गाता है
पर अमावस की रात किसी ने परछाई को देखा है
वो तो रोशिनी का प्रतिबिम्ब है जो
चमकते सूरज और पूर्णिमा में दीखता है
अमावस बड़ी स्याह होती है मेरे भाई
जीवन साथी तो सजीव है
साथ छोड़ जाती है परछाई